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‘शाह’ के आने से ठीक पहले सुशील मोदी के सवाल से बवाल, BJP नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर कहा- 2019 वाला तालमेल अब नहीं, क्या बताना चाहते हैं पूर्व डिप्टी CM

‘शाह’ के आने से ठीक पहले सुशील मोदी के सवाल से बवाल, BJP नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर कहा- 2019 वाला तालमेल अब नहीं, क्या बताना चाहते हैं पूर्व डिप्टी CM?

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पटना: बिहार विधानसभा की बोचहां सीट पर हुए उप चुनाव में सत्ताधारी दल बीजेपी की करारी हार हो गई। ऐसी हार की दल के नेताओं को भी बोलने का मौका मिल गया। अभी जहां बिहार बीजेपी का पूरा कुनबा गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम और एक साथ 75 हजार तिरंगा फहराकर विश्व रिकार्ड बनाने में जुटा है,वहीं दूसरी तरफ दल के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी ने बड़ा सवाल खड़ा कर नेतृत्व को परेशानी में डाल दिया है। सुशील मोदी ने वर्तमान नेतृत्व को आईना दिखाते हुए कहा है कि सहयोगी दलों से अब 2019 वाला संबंध नहीं रहा। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सुशील मोदी के इस तरह के बयान कई गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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👉फिर से चर्चा में हैं सुशील मोदी:
सीएम नीतीश के काफी करीबी माने जाने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल, पूर्व डिप्टी सीएम ने 21 अप्रैल को बोचहां चुनाव में दल की करारी हार पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने जो कहा उसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अरूण कुमार पांडेय ने कहा कि सुशील मोदी का यह बयान भाजपा नेतृत्व को सीधे-सीधे कटघरे में खड़ा कर रहा है। मोदी का ट्वीट यह बताने के लिए काफी है कि भाजपा के अंदर और एनडीए गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है।

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👉जानें सुशील मोदी ने क्या कहा है?:
दरअसल, सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए को दस सीटों का नुकसान और फिर विधानसभा के बोचहां उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार का 36 हजार मतों के अंतर से पराजित होना हमारे लिए गहन आत्मचिंतन का विषय है। एनडीए नेतृत्व इसकी समीक्षा करेगा, ताकि सारी कमियांं दूर की जा सकें। सुशील मोदी आगे कहते हैं कि बोचहां विधानसभा क्षेत्र की एक-एक पंचायत में एनडीए विधायकों-मंत्रियों ने जनता से सम्पर्क किया था। पूरी ताकत लगायी गई थी। सरकार ने भी सभी वर्गों के विकास के लिए काम किये और सबका विश्वास जीतने की कोशिश की। इसके बाद भी एनडीए के मजबूत जनाधार अतिपिछड़ा वर्ग और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित था। इसके पीछे क्या नाराजगी थी, इस पर एनडीए अवश्य मंथन करेगा।

👉एनडीए घटक दलों में 2019 जैसा तालमेल नहीं-मोदी:
सुशील मोदी अपने तीसरे ट्वीट में कहते हैं कि वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने पूरे तालमेल से एक-दूसरे को जिताने के लिए मेहनत की थी, जिससे हमारा स्ट्राइक रेट अधिकतम था। गठबंधन के खाते में राज्य की 40 में से 39 सीटें आयी थीं, जबकि राजद सभी सीटें हार गया था। विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव और विधानसभा की बोचहां सीट पर उपचुनाव में एनडीए के घटक दलों के बीच 2019 जैसा तालमेल क्यों नहीं रहा, इसकी भी समीक्षा होगी। अगले संसदीय और विधानसभा चुनाव में अभी इतना वक्त है कि हम सारी कमजोरियों और शिकायतों को दूर कर सकें।

👉सुशील मोदी नेतृत्व को करा रहे अहसास:
वरिष्ठ पत्रकार अरूण कुमार पांडेय कहते हैं कि वर्तमान में सुशील मोदी की बिहार बीजेपी में कोई भूमिका नहीं है,फिर बी वे समीक्षा की बात कर रहे।एक तरह से उन्होंने बोचहां चुनाव में दल के उम्मीदवार की करारी हार का पूरा ठीकरा नेतृत्व पर फोड़ा है। बोचहां में एक दिन के लिए सुशील मोदी भी प्रचार करने गये थे। लेकिन इनके कहने से भी वहां के लोगों ने बीजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी को कहां वोट किया ? बोचहां में रामसूरत राय और कैंडिडेट बेबी कुमारी सबसे बड़ी समस्या रही। इस वजह से भी पार्टी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। लेकिन सुशील मोदी ने जो चार ट्वीट किये हैं वो यह बताता है कि दल के अंदर ऑल इज नॉट वेल है। जेडीयू से भी संबंध ठीक-ठाक नहीं। सुशील मोदी ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि एनडीए के घटक दलों में 2019 जैसा तालमेल क्यों नहीं रहा,इसकी समीक्षा होगी। यह बयान यह साबित करता है कि सुशील मोदी यह अहसास कराना चाहते हैं कि मेरे नहीं रहने की वजह से यह दुर्गति हो रही. 2019 में वे डिप्टी सीएम थे। तब पार्टी और सरकार में उन्हीं की चलती थी। लेकिन 2020 विस चुनाव के बाद उन्हें बिहार से बेदखल कर दिया गया. वरिष्ठ पत्रकार आगे बताते हैं कि सुशील मोदी कह रहे कि सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक गया. यह तो उनके काल में ही शुरू हो गया था। उनके समय में ही भूमिहार वर्ग के बड़े नेताओं को ठिकाना लगाया जाने लगा था। चंद्रमोहन राय से लेकर सीपी ठाकुर समेत कई बड़े नाम हैं जिनको राजनीतिक रूप से परेशान किया गया। इस वजह से इस वर्ग के वोटरों में सुशील मोदी को लेकर भारी नाराजगी थी। मोदी का यह बयान उस समय आया है जब पूरी पार्टी वीर कुंअर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में लगी है। हालांकि इनके इस बात को नेतृत्व कितना तवज्जो देगा यह तो बीजेपी को तय करना है।

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