अध्यापक और प्रधान के चक्कर में भोजन के लिए भटक रहे बच्चे, हफ्तों से नहीं बन रहा प्राथमिक विद्यालय में भोजन
अध्यापक और प्रधान के चक्कर में भोजन के लिए भटक रहे बच्चे, हफ्तों से नहीं बन रहा प्राथमिक विद्यालय में भोजन
रिपोर्ट: रवि आर्य
बलिया। परिषदीय विद्यालयों में मिड डे मील का लाभ छात्रों को नहीं मिल रहा है। परफेक्ट 24 न्यूज टीम ने कुछ परिषदीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की हकीकत जाने की कोशिश की तो ज्ञात हुआ कि बच्चे भोजन करने घर गए हैं तो कुछ भूखे बच्चे विद्यालय में भटक रहे हैं। बतादें कि रसड़ा तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कोटवारी में प्राथमिक विद्यालय कोटवारी में मंगलवार को परफेक्ट 24 टीम ने प्राथमिक विद्यालय की मध्याह्न भोजन की हकीकत जानी। हकीकत हैरान कर देने वाली थी। टीम जब विद्यालय में प्रवेश की तो लॉन्च का समय चल रहा था। बच्चे दौड़ा दौड़ी कर खेल कूद कर रहे थे तो वहीं कुछ बच्चे निराश बैठे हुए थे। हम सबसे पहले रसोई घर के तरफ बढ़े तो रसोइया सुमन से मुलाकात हुई । जिनसे पूछा गया कि भोजन में क्या बना है तो उन्होंने हैरान कर देने वाली बात बताई। सुमन ने बताया कि आज लगभग बीस दिनों से अधिक का समय हो गया है और विद्यालय में भोजन नहीं बन रहा है। हम लोग समय से आ जाती हैं लेकिन सामान मिलता ही नहीं कि भोजन बनाएं ।
टीम कुछ आगे बढ़ी तो बच्चे मिले। उन बच्चों से पूछा गया कि आप लोगों को खाना मिला है तो बच्चों ने बताया कि नहीं ,हम लोगों को खाना नहीं मिला है बल्कि आज ही नहीं कई दिनों से खाना नहीं मिल रहा है। इस संबंध में बच्चों से कुछ और जानना चाहा तो जानकारी मिली कि कुछ बच्चे अपने घर खाना खाने गए हैं तो कुछ घर से लाकर खाएं हैं। वहीं विद्यालय में देखा गया कि कुछ बच्चे बगैर खाना खाए उदास बैठे हुए थे।
विद्यालय के सहायक अध्यापक अखिलेश प्रसाद का कहना है कि हां ये सही बात है कि पिछले कई दिनों से विद्यालय में मिड डे मील का भोजन नहीं बन रहा है। बच्चों से कहा गया है कि वो अपना टिफिन घर से लेकर ही आएं ।
अध्यापक अखिलेश ने यह भी कहा कि विद्यालय के प्रधानाचार्य के चार्ज पर देवेंद्र थे जो स्थानीय प्रधान के आपत्ति पर अपने चार्ज का परित्याग कर दिए । अभी कोई भी व्यक्ति चार्ज में नहीं है। एसडीआई साहब विद्यालय आए थे उन्होंने प्रधान से कहा कि अगर कोई दिक्कत नहीं हो तो देवेंद्र सर को रहने दीजिए। प्रधानाध्यापक भी नहीं आ रहे ,प्रधान भी नहीं आ रहे हैं । प्रधान कुछ दिनों तक मिड डे मील के तहत खाना बनवाए और फिर बंद कर दिए। वहीं इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी रसड़ा से टेलीफोनिक बात चीत करने का प्रयास किया गया तो बात चीत नहीं हो पाई क्योंकि अधिकारी महोदय ने फोन रिसीव नहीं किया।
कितना फायदेमंद है मिड डे मील
अधिक छात्रों के नामांकन और अधिक छात्रों की नियमित उपस्थिति के संबंध में स्कूल भागीदारी पर मध्याह्न भोजन कामिड डे मील महत्वपूर्ण प्रभाव पङता है। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुंचते हैं। जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं उन्हें भी दोपहर तक भूख लग आती है और वे अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए ”पूरक पोषण” के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर सकता है। यह समतावादी मूल्यों के प्रसार में भी सहायता कर सकता है क्योंकि कक्षा में विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि वाले बच्चे साथ में बैठते हैं और साथ-साथ खाना खाते हैं। विशेष रूप से मध्याह्न भोजन स्कूल में बच्चों के मध्य जाति व वर्ग के अवरोध को मिटाने में सहायता कर सकता है। मध्याह्न भोजन स्कीम छात्रों के ज्ञानात्मक, भावात्मक और सामाजिक विकास में मदद करती है। सुनियोजित मध्याह्न भोजन को बच्चों में विभिन्न अच्छी आदते डालने के अवसर के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।