ऐतिहासिक घटनाएंताजा ख़बरेंदेशबड़ी ख़बरेंब्रेकिंग न्यूजराजनीतिराज्यराष्ट्रीय

नया बिल: मॉब लिंचिंग, नाबालिग से रेप पर मौत की सजा, राजद्रोह अब देशद्रोह होगा

नया बिल: मॉब लिंचिंग, नाबालिग से रेप पर मौत की सजा, राजद्रोह अब देशद्रोह होगा

IMG-20230731-WA0012
God grace school bhore gopalganj

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (11 अगस्त) को संसद के निचले सदन लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 के सुधार को लेकर विधेयक पेश किया. उन्होंने बताया कि आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) बिल लेगा.

IMG-20231017-WA0059
4564 copy
IMG-20240416-WA0013
Abhilasha Videograph 6x3 copy

इस बिल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं. बिल में किसी महिला से पहचान छिपाकर शादी करने को अपराध कि श्रेणी में रखा गया है. माना जा रहा है कि इस प्रावधान से सरकार लव जिहाद पर नकेल कसने की तैयारी में है.

IMG-20240416-WA0013
4564 copy

अमित शाह ने कहा, “महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए भी प्रावधान किए हैं. शादी, रोजगार और प्रमोशन के झूठे वादे या गलत पहचान बताकर जो भी यौन संबंध बनाते थे, उसको अपराध की श्रेणी में पहली बार मोदी सरकार लाने जा रही है.”

उन्होंने कहा “गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया है. 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.”

ये बिल इंडियन पीनल कोड (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) और एविडेंस एक्ट हैं।
कई धाराएं और प्रावधान अब बदल जाएंगे। आईपीसी में 511 धाराएं हैं, अब 356 बचेंगी। 175 धाराएं बदलेंगी। 8 नई जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं खत्म होंगी। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं बचेंगी। 160 धाराएं बदलेंगी, 9 नई जुड़ेंगी, 9 खत्म होंगी। पूछताछ से ट्रायल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस से करने का प्रावधान होगा, जो पहले नहीं था।

सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा। देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। इनमें से 4.44 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में हैं। इसी तरह जिला अदालतों में जजों के 25,042 पदों में से 5,850 पद खाली हैं।
तीनों बिल को जांच के लिए संसदीय कमेटी के पास भेजा जाएगा। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में पास किए जाएंगे।

पहले बात उन 3 कानूनों की जिनमें बदलाव किया गया
समझिए 3 बड़े बदलाव…
राजद्रोह नहीं अब देशद्रोह:

ब्रिटिश काल के शब्द राजद्रोह को हटाकर देशद्रोह शब्द आएगा। प्रावधान और कड़े। अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य, चाहे बोला हो या लिखा हो, या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो, तो 7 साल से उम्रकैद तक सजा संभव होगी। देश की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी परिभाषित। अभी आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है।

सामुदायिक सजा:
पहली बार छोटे-मोटे अपराधों (नशे में हंगामा, 5 हजार से कम की चोरी) के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रु. जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है। अभी ऐसे अपराधों पर जेल भेजा जाता है। अमेरिका-यूके में ऐसा कानून है।

मॉब लिन्चिंग:
मौत की सजा का प्रावधान। 5 या अधिक लोग जाति, नस्ल या भाषा आधार पर हत्या करते हैं तो न्यूनतम 7 साल या फांसी की सजा होगी। अभी स्पष्ट कानून नहीं है। धारा 302, 147-148 में कार्रवाई होती है।
180 दिन में चार्जशीट, ट्रायल के बाद 30 दिन में फैसला
पुलिस को 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा। कोर्ट इसे 90 दिन बढ़ा सकेगा। लेकिन, अधिकतम 180 दिन में जांच पूरी कर ट्रायल के लिए भेजनी होगी। ट्रायल के बाद कोर्ट को 30 दिन में फैसला देना होगा। फैसला एक सप्ताह के भीतर ऑनलाइन अपलोड करना होगा। 3 साल से कम सजा वाले मामलों में संक्षिप्त सुनवाई पर्याप्त होगी। इससे सेशन कोर्ट में 40% मुकदमे कम हो जाएंगे। सजा की दर 90% तक ले जाने का लक्ष्य है।

सजा माफी का सियासी इस्तेमाल सीमित:
सरकार सजा में छूट का सियासी इस्तेमाल ना कर सकें, इसके लिए नया प्रावधान किया है। मौत की सजा सिर्फ आजीवन कारावास और आजीवन कारावास को 7 साल तक सजा में बदला जा सकेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सियासी प्रभाव वाले लोग कानून से बच न सकें। सरकार पीड़ित को सुने बिना 7 साल कैद या अधिक सजा वाले केस वापस नहीं ले सकेगी।

जीरो एफआईआर:
देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे। इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी। अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थीं। 15 दिन में जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी। हर जिले में पुलिस अधिकारी गिरफ्तार लोगों के परिवार को प्रमाण पत्र देगा कि वे गिरफ्तार व्यक्ति के लिए जिम्मेदार हैं। जानकारी ऑनलाइन और व्यक्तिगत देनी होगी।
पहचान छिपाकर महिला से संबंध बनाने व शादी पर अब नई

धारा: शादी, नौकरी, प्रमोशन का प्रलोभन देकर या पहचान छिपाकर महिला का यौन शोषण अब अपराध होगा।
एफआईआर से फैसले तक स​ब ऑनलाइन: डिजिटल रिकॉर्ड्स को वैधता देने से लेकर एफआईआर और कोर्ट के फैसले तक पूरा सिस्टम डिजिटल और पेपरलेस होगा। सर्च व जब्ती की वीडियोग्राफी होगी। जांच, अनुसंधान फोरेंसिक विज्ञान पर आधारित होगा। 7 साल या अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक टीम मौके पर जरूर जाएगी। सभी अदालतें 2027 तक कंप्यूटरीकृत होंगी।

ये भी बदलाव किए गए हैं…
चुनाव में मतदाता को रिश्वत देने पर एक साल की कैद का प्रावधान है। पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को कुल कारावास का एक-तिहाई समय जेल में बिताने पर जमानत दे दी जाएगी। फरार घोषित अपराधी के बगैर भी मुकदमा चल सकेगा। दाऊद जैसे अपराधियों की ट्रायल संभव होगी। सिविल सर्वेंट्स पर मुकदमा चलाने के लिए 120 दिन के भीतर अनुमति देनी होगी।

IMG-20230731-WA0012
3
Back to top button
error: Content is protected !!